पं. सागर शास्त्री (ग्रेटर नोएडा) सनातन धर्म में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से देवों के देव महादेव अपने भक्तों के सभी दुख-कष्ट दूर करते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
साल 2024 का अन्तिम प्रदोष व्रत 28 दिसंबर को शनिवार के दिन रखा जाएगा। इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। कहा जाता है कि शनि प्रदोष व्रत रखने से सुख-सौभाग्य और खोए हुए राज्य और पद की प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होता है।
भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करें और ॐ नमः शिवाय का जाप करें। प्रदोष व्रत के दिन फल दान करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है। अन्न दान करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है। दूध को शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। दूध का दान करने से वैवाहिक जीवन में मिठास बनी रहती है। काले तिल का दान लोगों को शनि दोष से मुक्ति दिलाता है और विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करता है। दान करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।