ग्रेटर नोएडा) दिल्ली सरकार के अधीन हिंदी अकादमी ने वर्ष 2023-24 के प्रतिष्ठित शिखर सम्मान से दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की अध्यक्षा प्रो. कुमुद शर्मा को सम्मानित किया। यह सम्मान उनके शैक्षणिक और साहित्यिक योगदान की स्वीकृति भले हो,लेकिन इसके साथ ही इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है।
बौद्धिक पहचान को मजबूती
आम आदमी पार्टी के इस कदम को न केवल एक विद्वान को सम्मानित करने के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि इसे पार्टी के बौद्धिक आधार को मजबूत करने की रणनीति भी माना जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि प्रो. कुमुद शर्मा का जुड़ाव आम आदमी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने भाजपा के बौद्धिक दायरे से एक प्रभावशाली महिला व्यक्तित्व को अपनी ओर खींच लिया है। माना जा रहा है कि इससे आगामी चुनावों में पार्टी को लाभ हो सकता है।
संघ और वामपंथ से जुड़े तार
प्रो. कुमुद शर्मा का नाम अकादमिक जगत के साथ-साथ राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय रहा है। कहा जाता है कि वे पहले वामपंथी विचारधारा से जुड़ी रही हैं, लेकिन बाद में संघ के करीब आईं। हाल ही में वर्धा विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिए उनका नाम भी चर्चा में था, और वे इस पद के लिए सबसे मजबूत उम्मीदवार मानी जा रही हैं। संघ और केंद्र सरकार से उनके करीबी रिश्तों को इस संदर्भ में महत्वपूर्ण बताया गया।
इस सम्मान के बाद, कुछ आलोचक उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता को लेकर सवाल उठा रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के एक शिक्षक के अनुसार, प्रो. शर्मा ने दोनों राजनीतिक ध्रुवों—आम आदमी पार्टी और संघ—के बीच संतुलन साधने की कला विकसित की है। उन्होंने कहा कि “रात में आम आदमी पार्टी की बैठक और दिन में संघ के साथ चर्चा” जैसी बातें उनके राजनीतिक समीकरणों को दर्शाती हैं।
संघ से जुड़े एक वरिष्ठ व्यक्ति ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस तरह के व्यक्तित्वों पर संगठन की उदारता से स्वयंसेवकों के बीच गलत संदेश जा सकता है। फिर भी, इस तथ्य को अनदेखा नहीं किया जा सकता कि प्रो. कुमुद शर्मा जैसी महिला को शिखर सम्मान मिलना एक बड़ी बात है।
प्रो. कुमुद शर्मा के शिखर सम्मान के साथ उनके ऊपर पार्टी को बौद्धिक रूप से मजबूत करने की जिम्मेदारी भी आने की संभावना है। राजनीतिक विश्लेषक इसे आम आदमी पार्टी की दूरगामी योजना का हिस्सा मान रहे हैं। उनका मानना है कि प्रो. शर्मा का जुड़ाव पार्टी को बौद्धिक मोर्चे पर भाजपा के साथ मुकाबला करने में मदद करेगा।
अद्वितीय उपलब्धियां
शिखर सम्मान और कुलपति पद की दौड़ में सबसे आगे होने जैसी दोहरी उपलब्धियां बहुत कम लोगों को नसीब होती हैं। प्रो. कुमुद शर्मा ने यह साबित किया है कि वे न केवल एक विद्वान हैं, बल्कि राजनीति के जटिल समीकरणों को भी गहराई से समझती हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में वे अपने बौद्धिक और राजनीतिक पैतरे बाजियों को कैसे निभाती हैं और यह सम्मान उनके करियर और पार्टी के लिए किस तरह फायदेमंद साबित होता है।